22.6.2009

कुछ नहीं होता

1--
लोग कहते हैं गलत बात,
चुप्पी साधे से कुछ नहीं होता.
दिल में सब्र की आंधी है,
इंतजार करने से भी कुछ नहीं होता.

2---
अब तो चुप रहने की आदत सी पड़ गई है,
दस्तक देने से भी कुछ नहीं होता.
किस से कहूं सोज-ए-दिल,
जिससे कहना है उसका भी तो कुछ नहीं होता.

3---
मेरे बाग में बुलबुल के बिना भी,
दिल शगुफ्ता है इस चमन में.
कैसे कहते हैं लोग,
हंसने से बगीचे में गुलजार नहीं होता.

4--
दिल का दर्द अब आंखों से बयां होता है,
लोग कहते हैं जन्नत का नशा है.
कैसे कहूं आंसू बहाकर भी,
सबकुछ भूल जाने से भी तो कुछ नहीं होता.

5--
हकीकत की इस दुनिया में,
तसव्वुर को इजाजत नहीं.
यहां तो बस खंजर-ए-सितम की रहम है,
लोग करते हैं सितम पर सितम,
लेकिन खाक में मिटने से भी तो कुछ नहीं होता.

6--
अब तलक से सबने ठानी है,
जिंदगी की बची अलामात से हाजिर होंगे.
कुछ नहीं करने की खातिर,
लोग कहते हैं गलत बात,
रोशनी में तलाशे से कुछ नहीं होता.
लोग कहते हैं गलत बात,
चुप्पी साधे से कुछ नहीं होता.

आपका
गौरी शंकर

4 תגובות:

दिगम्बर नासवा אמר/ה...

बहुत खूब लिखा है........ अच्छी अभिव्यक्ति है..........

אנונימי אמר/ה...

हुज़ूर वाकई में सब उल्टा-पुल्टा है...मज़ा आया...
खूब मिलना हुआ मुंहफटिये से...

GAURI SHANKER אמר/ה...

thanks digamberji

GAURI SHANKER אמר/ה...

thanks ravibhai